रायपुर : राजधानी रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ नेत्र चिकित्सालय संस्थान पिछले 40 सालों से ग्रामीण अंचलों में दे रहा है सस्ती दर पर अपनी सेवाएं दे रहा है, जिससे गरीब वर्ग के ग्रामीणों को राहत मिल रही है और लगातार शिविर, निशुल्क परामर्श के जरिये लोगों में जागरूकता फैलाने का कार्य भी किया जा रहा है.
इसके साथ ही संस्थान के डॉक्टरों ने प्रदेश के दूरस्थ इलाको में जाकर जरुरतमंद व्यक्तियों को नेत्र चिकित्सा उपलब्ध कराई है एवं नेत्र चिकित्सा से सम्बंधित अत्याधुनिक उपकरण एवं प्रशिक्षित डॉक्टर, नेत्र से सम्बंधित सारी बिमारियों का इलाज लम्बे वर्षो से करते आ रहें है.
बता दें कि संस्थान ने हाल ही में अपने 40 वर्ष पूर्ण किये, 1978 में स्थापित छत्तीसगढ़ नेत्र चिकित्सायल ने नेत्र चिकित्सा में अपना नया आयाम स्थापित किया है.
संस्थान में phaco emulsification विधि द्वारा मोतियाबिंद का 2.2 mm छिद्र द्वारा सफल इलाज, विश्वस्तरीय लेंस की सुविधा, काळा मोतियबिंद का लेजर द्वारा सफल इलाज एवं उपचार संभव, बिना इंजेक्शन एवं बिना टाँके के द्वारा मोतियबिंद का सफल इलाज , अश्रुनली का उपचार आदि जैसे आँखों से सम्बंधित बीमारियों का इलाज छत्तीसगढ़ नेत्र अस्पताल में संभव है.
अस्पताल के नेत्र चिकिस्ता विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक मेहरा के अनुसार छत्तसीगढ़ के भीतरी क्षेत्रों में मोतियबिंद के सर्वाधिक मरीज़ पाएं जाते हैं. उन्हें बेहतर उपचार दिलवाने के लिए अस्प्ताल के द्वारा समय समय पर कैंप भी लगवाया जाता है. ताकि उन्हें कम खर्चे पर बेहतर सुविधा उपलब्ध हो. अस्पताल ने पिछले 40 वर्षों में 20 हज़ार कैंप लगाए गए जिनमे 3.5 लाख आँखों के आपरेशन किये गए, 50 लाख मरीज़ो के चेकअप किये गए. मध्य छत्तीसगढ़ के बहुत से गाँव में जाकर मरीज़ो का इलाज किया गया.